देख पालकी जिस दुल्हन कि , बहक गया हर एक बाराती जिस के द्वार उठेगा घूंघट जाने उस पर क्या बीतेगी। एक रात सपने में छू कर तन - मन चन्दन वन कर डाला जो हर रोज छुवा जायेगा उस पागल पर क्या बीतेगी।।
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