मेरा प्यार और राष्ट्रीय राजमार्ग - 3 से आगे पढ़े।
मैं अब राँची अपने काम पर वापस आ चूका था , अपने काम पर ध्यान कम ज़ोया पर ज्यादे रहने लगा। मोना से मेरी रोज बात होती मोना को
मैं : यार देखो आज भी ज़ोया का कॉल नहीं आया।
मोना : देखो उसको टाइम मिलेगा तो वो खुद कर लेगी उसकी परेशानी समझो।
मैं : ठीक है।
इस बिच नेहा मेरे से कुछ ज्यादे अटैच्ड होना चाह रही थी, पर मेरा मन अब नेहा में नहीं था। एक रात मैं नेहा बात रहा था तभी उधर से आवाज आयी मैं रिंकी बोल रही हूँ , रिंकी, नेहा की बड़ी बहन थी ,
मैं : बोला बोलिये ,
रिंकी : तुम जो ये सब काम कर रहे हो ये सब ठीक नहीं है , मैंने पूछा क्यों वो पूरा भाषण देने लगी , अभी तुम लोगो कि उम्र ही क्या है, वैगैरा - वैगैरा।
मैं चुप - चाप उस शांत रात में अशांत कर देने वाला भाषण सुनता रहा। अंत में, मैं सिर्फ ठीक है कह के कॉल को काट दिया। अशांत मन को किसी तरह शांत कर के सो गया।
सुबह - सुबह और दिन के तरह ही मोना का कॉल आया मैंने रात वाली सभी बात बता दिया। मोना बोली रुकू मैं बोलती हूँ , मैंने बोला छोड़ो। उस पर मोना बोली आज के बाद उसको कभी कॉल नहीं करना समझे। मैं बोला समझ गया।
अब दिन गुजरते - गुजरते दीवाली का आ गया। मुझे काली पूजा में गांव जाना रहता था। राँची में मेरे रिस्तेदार भी रहते थे , मैं उन्ही यहाँ गया हुआ था , शाम का समय था, मैं सिगरेट पिने के लिए पान दुकान पर गया हुआ था, उसी समय एक अनजान नंबर से कॉल आया।
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