जीवन के किछ बितल नभ में बादल बनी किछ हमहुँ लिखतौ - .

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Wednesday, February 10, 2016

जीवन के किछ बितल नभ में बादल बनी किछ हमहुँ लिखतौ

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जीवन के किछ बितल नभ में बादल बनी किछ हमहुँ लिखतौ,
चानक इजोत में गोल गोल अपने अंगना हमहुँ नचिताओ !!
Picture+153छल उम्र अबोधक कते निक उन्मुक्त मधुर मन नै किछु अभाव
बरखा जल में ओ कागत के बही रहल दूर धरी हमर नाऊ 
चलिताई ओ नाऊ सरोवर जौ , किछु दूर फेर स हम बहिताओ !!
चानक इजोत में गोल गोल अपने अंगना हमहुँ नचिताओ !!
छल कते निक गाछक झूला , उड़ी जाइत छलौ मोनक आकाश
अन्हार , बिहाइर् में दौर गेनौ नै भेल कतओ भय के अभास ,
रहितै ज गाछ कतओ ओहने हम फेर आई झूला झुलिताओ !!
चानक इजोत में गोल गोल अपने अंगना हमहुँ नचिताओ !!
छल कते निक तितली पाछा उठी दौअर लगाबी मस्त भेल
कंकर, पाथर, पथ नदी , धार नै रोकी सकल सब पस्त भेल
क दैयत समय ज मुक्त आई , हम फेर अपन बचपन देखताओ
चानक इजोत में गोल गोल अपने अंगना हमहुँ नचिताओ !!
जीवन के किछ बितल नभ में बादल बनी किछ हमहुँ लिखतौ,
चानक इजोत में गोल गोल अपने अंगना हमहुँ नचिताओ !!
साभार : रजनी पल्लवी 



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